जब मेरी पत्नी सो रही हो,
और जब बिटिया और उसकी आया सो रही हो ।
और जब सूर्य एक धुंध में चमकता सफेद गोला हो –
चमकते पेड़ों के ऊपर ।
जब मैं अपनी स्टडी में,
नाच रहा हूं – नग्न, बदसूरत
आईने के सामने,
सर के उपर अपनी शर्ट घुमाते हुए
हौले से गाते हुए –
मैं कितना तन्हा हूं,
मैं पैदाइशी तन्हा हूं
मैं तन्हा ही अच्छा हूं
जब मैं अपनी परछाई देख कर गुण गान कर रहा होता हूं –
मेरी बाहों, मेरे कंधों, मेरे नितंबों मेरे चेहरे और मेरे तन का ।
कौन कह सकता है के मैं
खुशकिस्मत जीनियस नहीं हूं अपने इस घर का ?
(विलियम कार्लोस विलियम्स की कविता से अनूदित)
Social Profiles