रात

कितने रूप बदलती है ये रात,

कभी लम्बे सुनसान रस्तों की मौन रात्रि,

तो कभी यादों और बातों का रतजगा लगा हो जैसे ।

कभी इतने अंधेरे के खुद को भी पहचान न सकूँ,

तो कभी ख़यालों के उजाले की जिनमे हर सच्चाई देख सकूँ ।

कभी चीजें इतनी अलग दिखें जैसे दिल में छिपे अनजाने डर,

तो कभी सितारे राह दिखाते हैं के आगे बढ़ और मंजिल चुन ।

कभी ये एहसास की ज़िंदगी भी इस रात की तरह बेवज़ह बेमानी है,

तो कभी सुबह का इंतज़ार की फिर कोई इरादा कोई मक़सद है ।

कभी ये हक़ीक़त की ये रात भी तन्हा है मेरी तरह, तो कभी ये तस्व्वुर के रात भर पहलू में तुम हो ।

सच में – कितने रूप बदलती है ये रात ।।

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I am Ajay Bhadoo. IAS Officer, serving as Joint Secretary to the President of India.

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