किसी रूत या मौसम का नाम नही है,
तेरी आरज़ू की तड़प है बरसात
बेचैनी है तुझे पाने की,
तेरी रिमझिम बरसती याद है
ये भीगा मौसम तेरे लम्स की गरमी की तरह
ये काली घटा कि तूने बाल खोल दियें हों जैसे
जो मैं कह न सका, जो तुम बता न सकी
उन सब अनकही बातों का एहसास है,
तेरे बिना जो गुज़रे उन तन्हा पलों का ख़ालीपन है
बरसात,तेरे तसव्वुर का दूसरा नाम है ।
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