जीवन बस एक कहानी,
हम लिखते लम्हों की ज़ुबानी ।
चाहे वो वक़्त गुज़िश्ता हो ,
या चाहे आने वाला कल ।
भरपूर मिले वो लम्हे भी
और मिल न सके वैसे भी पल।
यादों, बातों, नातों के पल ,
कुछ चाह के पल, कुछ मोह के पल
आशाओं और उम्मीदों के,
नाकामी और निराशा के,
कुछ लहरों जैसे हल्के पल,
मस्ती के पल, फ़ुर्सत के पल ।
कुछ बोझिल मेरे ज़ेहन पर हैं,
इक ठसक के पल इक कसक के पल
कहते सारे ज्ञानी-ध्यानी,
ये सारा किस्सा है फ़ानी
फिर भी ये मन बंजारा-
सारे लम्हों की गठरी को
ले कर फिरता है,
ठौर-ठौर, मारा मारा ।
एक मुसाफिर,
घाट-घाट, पानी-पानी,
जीवन बस एक कहानी
न कोई मुद्दा, न कोई मानी ।।
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