ब्रह्मा विष्णु महेश
मन की ये तीन शक्ति
निज के ये तीन रूप
अंतर के ये सर्वेश ।
भीतर छुपे ब्रह्मा से ही प्रेरित हुए
नवविचार,नवसर्जन, नवयुग ।
फिर बीज को मैने विष्णु बनकर
बरगद की तरह पनपाया, फैलाया ।
अब पत्तों को झड़ना है,
जीवन धूप को ढलना है,
मुझको शंकर बनना है ।
ब्रह्मा विष्णु महेश
मन की ये तीन शक्ति
निज के ये तीन रूप
अंतर के ये सर्वेश ।।
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